4 thoughts on “Zindgi ke sahi mayane….

  • May 8, 2009 at 9:09 AM
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    zindgi k mayane talash karti aur is talash me zindgi ka har rang dikhati aapki kavita jitni achhi ban padi hai,utna hi achha iska back ground bhi hai……BADHAI

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  • May 9, 2009 at 3:28 AM
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    रजत जी ,
    बहुत भावपूर्ण एवं संवेदनशील रचना है आपकी .बधाई .लेकिन कहीं कहीं भाषा और टाइपिंग की गलतियाँ हैं उन्हें सुधIर लें .जैसे …
    धरती की प्यास बुझ गया ..गलत है इसकी जगह ..धरती की प्यास बुझ गयी ..होना चाहिए .
    आशा है अन्यथा नहीं लेंगे .

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