रजत जल्दी जल्दी तो कवितायें.. एक उम्मीद और दूसरा तेरा चेहरा.. बहुत सुन्दर कविता बनी और साथ ही उसका प्रेजेंटेशन… कविता के भाव बहुत कोमल हैं और मन को छू रहे हैं… नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना… ने वर्ष में और लिखो.. अच्छा लिखो…
काफी देर से आई .. लेकिन कुछ अच्छे भाव पढ़ने को मिले भले ही दुःख से भरपूर हों..!! कोई बात नहीं…..! बहुत खूबसूरती से उकेरा है उन्हें आपने ! कई बार ज़िंदगी में उससे भी कुछ मिल ही जाता है !!
रजत जल्दी जल्दी तो कवितायें.. एक उम्मीद और दूसरा तेरा चेहरा.. बहुत सुन्दर कविता बनी और साथ ही उसका प्रेजेंटेशन… कविता के भाव बहुत कोमल हैं और मन को छू रहे हैं… नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना… ने वर्ष में और लिखो.. अच्छा लिखो…
अच्छी प्रस्तुति …
उफ़ भाई दिल को छू लेते हो…कॆसे करते हो पिक्चर का इतना अच्छा समायोजन?
कोमल भावनाओं से रची रचना ..निराशा ज्यादा दिख रही है ….
वर्तनी की अशुद्धियाँ अर्थ का अनर्थ कर रही हैं …
सुखी —- सूखी
बूझ — बुझ …अन्तर खुद देखें
bahut sunder……
काफी देर से आई ..
लेकिन कुछ अच्छे भाव पढ़ने को मिले
भले ही दुःख से भरपूर हों..!!
कोई बात नहीं…..!
बहुत खूबसूरती से उकेरा है उन्हें आपने !
कई बार ज़िंदगी में उससे भी कुछ मिल ही जाता है !!
अच्छी रचना…