17 thoughts on “कमीने…

  • December 28, 2009 at 5:17 PM
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    बहुत ही उम्दा कविता है लाजवाब है

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  • December 28, 2009 at 5:30 PM
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    कुछ कमीने चाल चल चुके है अब मेरी है बारी

    बहुत सुंदर। शह और मात के खेल मे सब जायज है।

    अच्छा लगा पढ कर्। आभार

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  • December 28, 2009 at 5:43 PM
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    waah rajat ji !

    darpan dikhaa diya aapne

    bahut khoob !

    sundar aur maarmik kavita….

    chitra ka upyog kamaal kar raha hai

    dhnyavad !

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  • December 28, 2009 at 6:00 PM
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    सराहनीय प्रयास यथार्थ को उभारने का..

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  • December 28, 2009 at 6:00 PM
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    सादर वन्दे
    इतनी सच्चाई इतने कम शब्दों में, कमाल है जी
    रत्नेश त्रिपाठी

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  • December 29, 2009 at 4:31 AM
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    आनन्द आया आपकी रचना पढ़कर.

    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें – यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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  • December 29, 2009 at 5:10 PM
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    दुनियाँ है अजायबधर यहाँ है भाँति भाँति के लोग ,यहाँ इन्सान एक दुसरे को काट रहा है।

    सुन्दर कविता..

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  • December 29, 2009 at 5:11 PM
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    क्या बात है नरूला जी ….ये अंगारों से दहकते लफ्ज़ ……कोई राज़ है क्या …..??

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  • January 3, 2010 at 8:02 AM
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    kya baat hai..jaise ek ek shabd seedha dil se nikla hua hai…

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  • January 6, 2010 at 4:43 AM
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    Hello Rajat,

    Happy New year!
    By the way, you creation is quite to the point 🙂 revengeful…
    And hats off to the truth you have boldly picturised.

    Regards,
    Dimple

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  • January 11, 2010 at 8:15 PM
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    Zindagi zindagi na rahi khel ho chali hai ab, jaayaz aur naajaayaz ke sawal ab nahi hote, bas mukaam haasil kar lo to sab kuchh jaayaz ho jayega, bas isi khel mein sab hain.

    Beautiful line "ki ab meri baari hai".

    Reply

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