5 thoughts on “Akhiri Khat….

  • April 22, 2009 at 3:40 AM
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    नारुल्ला जी ,

    आप लिखते तो क्या खूब हैं….पर ये निराशा के पुट अच्छे नहीं …और एक बात आप में प्रतिभा है….बहोत अच्छा लिख सकते हो….जारी रहें….!!

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  • April 22, 2009 at 3:41 AM
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    मेरे अश्कों के निशाँ इस ख़त की रंगत में
    चार चाँद लगाते हैं ……..
    मैकदे की उदास फिज़ाओं में डूब कर पढ़ा गया
    ये ख़त हमें भी रंजीदा कर गया ….
    आपकी नज़्म जज़्बात और एहसासात से भरपूर है
    बार-बार पढ़ लेने पर भी यूं लगता है कि प्यास बाक़ी है
    खैर …एक अच्छी रचना पर बधाई स्वीकारें
    —मुफलिस—

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  • April 29, 2009 at 4:55 AM
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    सुन्देर अभिव्यक्ति है एह्सास को श्ब्द मिल जायें तो कविता की खूब्सुरती और भि बढ जाती है

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  • May 9, 2009 at 11:12 PM
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    waah Rajat………such mein toooooo good, thanks for letting me know!

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