Dil-e-Jazbat हेरान परेशान…. May 17, 2009March 10, 2020 Rajat Narula 3 Comments ~ To read the poem, click on the picture. ~
satish kundanMay 18, 2009 at 6:47 AMPermalink वाह…क्या बात कही है….सरल शब्दों में गहरी अभिव्क्ति.. Reply
Harkirat HaqeerMay 19, 2009 at 4:45 AMPermalink आप हर शाम जो होते हैं हैरान के या शख्स क्यूँ लडखडाते क़दमों से घर पहुचता हैवजह ये है के ये मेरे घर का रास्ता मैखाने से होकर गुजरता है बहुत खूब….!! Reply
vah vah vah vah
bahut khoob rajatji
वाह…क्या बात कही है….सरल शब्दों में गहरी अभिव्क्ति..
आप हर शाम जो होते हैं हैरान
के या शख्स क्यूँ लडखडाते
क़दमों से घर पहुचता है
वजह ये है के ये मेरे घर का रास्ता
मैखाने से होकर गुजरता है
बहुत खूब….!!