ललित शर्माDecember 28, 2009 at 5:30 PMPermalink कुछ कमीने चाल चल चुके है अब मेरी है बारी बहुत सुंदर। शह और मात के खेल मे सब जायज है। अच्छा लगा पढ कर्। आभार Reply
AlbelaKhatri.comDecember 28, 2009 at 5:43 PMPermalink waah rajat ji ! darpan dikhaa diya aapne bahut khoob ! sundar aur maarmik kavita…. chitra ka upyog kamaal kar raha hai dhnyavad ! Reply
aaryaDecember 28, 2009 at 6:00 PMPermalink सादर वन्देइतनी सच्चाई इतने कम शब्दों में, कमाल है जीरत्नेश त्रिपाठी Reply
Udan TashtariDecember 29, 2009 at 4:31 AMPermalink आनन्द आया आपकी रचना पढ़कर. यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं। हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है. मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं. निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें – यही हिंदी की सच्ची सेवा है। एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें। आपका साधुवाद!! शुभकामनाएँ! समीर लालउड़न तश्तरी Reply
प्रसून दीक्षित 'अंकुर'December 29, 2009 at 10:16 AMPermalink अत्यंत खूब ! जितनी सराहना की जाये उतनी कम ! Reply
Dhiraj ShahDecember 29, 2009 at 5:10 PMPermalink दुनियाँ है अजायबधर यहाँ है भाँति भाँति के लोग ,यहाँ इन्सान एक दुसरे को काट रहा है। सुन्दर कविता.. Reply
हरकीरत ' हीर'December 29, 2009 at 5:11 PMPermalink क्या बात है नरूला जी ….ये अंगारों से दहकते लफ्ज़ ……कोई राज़ है क्या …..?? Reply
PrernaJanuary 3, 2010 at 8:02 AMPermalink kya baat hai..jaise ek ek shabd seedha dil se nikla hua hai… Reply
DimpsJanuary 6, 2010 at 4:43 AMPermalink Hello Rajat, Happy New year!By the way, you creation is quite to the point 🙂 revengeful… And hats off to the truth you have boldly picturised. Regards,Dimple Reply
Scorpion KingJanuary 11, 2010 at 8:15 PMPermalink Zindagi zindagi na rahi khel ho chali hai ab, jaayaz aur naajaayaz ke sawal ab nahi hote, bas mukaam haasil kar lo to sab kuchh jaayaz ho jayega, bas isi khel mein sab hain. Beautiful line "ki ab meri baari hai". Reply
बहुत ही उम्दा कविता है लाजवाब है
कुछ कमीने चाल चल चुके है अब मेरी है बारी
बहुत सुंदर। शह और मात के खेल मे सब जायज है।
अच्छा लगा पढ कर्। आभार
nice
बहुत ही उम्दा कविता …..
waah rajat ji !
darpan dikhaa diya aapne
bahut khoob !
sundar aur maarmik kavita….
chitra ka upyog kamaal kar raha hai
dhnyavad !
सराहनीय प्रयास यथार्थ को उभारने का..
सादर वन्दे
इतनी सच्चाई इतने कम शब्दों में, कमाल है जी
रत्नेश त्रिपाठी
बहुत बढ़िया लिखा है
आनन्द आया आपकी रचना पढ़कर.
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें – यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
अत्यंत खूब ! जितनी सराहना की जाये उतनी कम !
दुनियाँ है अजायबधर यहाँ है भाँति भाँति के लोग ,यहाँ इन्सान एक दुसरे को काट रहा है।
सुन्दर कविता..
क्या बात है नरूला जी ….ये अंगारों से दहकते लफ्ज़ ……कोई राज़ है क्या …..??
kya baat hai..jaise ek ek shabd seedha dil se nikla hua hai…
Hello Rajat,
Happy New year!
By the way, you creation is quite to the point 🙂 revengeful…
And hats off to the truth you have boldly picturised.
Regards,
Dimple
Zindagi zindagi na rahi khel ho chali hai ab, jaayaz aur naajaayaz ke sawal ab nahi hote, bas mukaam haasil kar lo to sab kuchh jaayaz ho jayega, bas isi khel mein sab hain.
Beautiful line "ki ab meri baari hai".
बहुत बढिया रचना!!
愛情不是慈善事業,不能隨便施捨。.........................